चीन के चश्मे से ताइवान को न देखे भारत, 3 T वाली पॉलिसी पर फिर से विचार करना होगा India Taiwan relations and China President election dpp lai ching te helobaba.com
युवा लेकिन उम्मीद से भरे रिश्ते
औपचारिक राजनयिक संबंधों की अनुपस्थिति के बावजूद, 1995 में व्यापार कार्यालयों की स्थापना ने भारत-ताइवान के बीच राजनयिक कार्यों के लिए आधार तैयार किया. विशेष रूप से उस साल भारत-ताइपे एसोसिएशन (ITA) और ताइपे आर्थिक सांस्कृतिक केंद्र (TECC) की स्थापना हुई.
दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में सराहनीय बढ़ोतरी देखी गई है, जो 2001 में 1.19 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022 में 8.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है. विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने, निवेश और आर्थिक सहयोग को लगातार बढ़ाने के लिए कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
भारत की लुक/एक्ट ईस्ट (Look/Act East) पॉलिसी और ताइवान की न्यू साउथबाउंड नीति (New Southbound Policy) के बीच तालमेल संभावित रणनीतिक साझेदारी की नींव का संकेत देता है. भले ही मुख्य रूप से आर्थिक और लोगों से लोगों के संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, लेकिन भारत की लुक/एक्ट पॉलिसी के विकास का इतिहास बताता है कि ये स्तंभ संबंधों को गहरा करने के लिए एक मजबूत मंच बनाते हैं.
फिर भी, जब दबाव बढ़ता है, तो भारत ने पीछे हटने का विकल्प चुना है. डोकलाम गतिरोध के बाद भारत की ओर से ताइवान में कोई संसदीय प्रतिनिधिमंडल नहीं गया (आखिरी बार जैसा कि 2017 में गया था). इसके अलावा, ताइवान के आसपास चीन के सैन्य अभ्यास की अन्य क्वाड सदस्यों की आलोचना के बीच भारत की चुप्पी से एक सतर्क नजरिया पता चलता है. यह असंगति भारत की ताइवान पॉलिसी का पुनर्मूल्यांकन करने, इसकी स्थिरता की जरूरत को रेखांकित करती है.