मंत्रालयों के कम खर्च से 2024 में पूरा होगा घाटे का लक्ष्य: विशेषज्ञ – deficit target will be met in 2024 due to less expenditure of ministries expert helobaba.com
चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 8 महीनों के दौरान केंद्र सरकार के 15 विभागों ने बजट में आवंटित राशि का एक-तिहाई से भी कम खर्च किया है। इससे केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 फीसदी पर सीमित करने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिल सकती है।
लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के ताजा आंकड़ों के अनुसार 15 विभागों को बजट में कुल मिलाकर 1.45 लाख करोड़ रुपये का आंवटन किया गया था जिनमें से महज 17.8 फीसदी ही खर्च हो पाया है। सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम, पेट्रोलियम, नागर विमानन, खाद्य प्रसंस्करण, भारी उद्योग एवं इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी सहित कई मंत्रालयों एवं विभागों ने आवंटित बजट से कम खर्च किया है।
हालांकि सड़क परिवहन, राजमार्ग, रेलवे, रक्षा एवं जहाजरानी जैसे बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जुड़े मंत्रालयों ने चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक अपेक्षाकृत ज्यादा खर्च किया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘कर राजस्व में इजाफा हुआ है मगर विनिवेश जैसे कुछ क्षेत्रों से प्राप्तियां लक्ष्य से कम रही हैं। ऐसे में अगर राजस्व लक्ष्य से कम रहा तो राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए खर्च को काबू में करना एकमात्र विकल्प होगा।’
सबनवीस ने कहा कि इससे कयास लगाया जा सकता है कि सरकार ने जनवरी में राजकोषीय घाटे की तस्वीर स्पष्ट होने तक मंत्रालयों को विवेकाधीन खर्च को अलग रखने और पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता देने की सलाह दी है।
चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों में केंद्र का राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य 17.87 लाख करोड़ रुपये का 50.7 फीसदी रहा है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 58.9 फीसदी पहुंच गया था।
ईवाई इंडिया में मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा, ‘मंत्रालयों की ओर से कम खर्च किए जाने से होने वाली बचत से सरकार को सब्सिडी बढ़ने जैसे अप्रत्याशित खर्च को पूरा करने में मदद मिल सकती है। इससे सरकार इस बढ़े खर्च के दबाव की भरपाई करने में सक्षम होगी।’
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान सबसे कम खर्च पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय का रहा। बजट में इसे 41,007 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था जिनमें से महज 5 फीसदी ही खर्च हो पाया है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इस मंत्रालय का खर्च बजट अनुमान का 26 फीसदी रहा था।
सीजीए के आंकड़ों के अनुसार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का खर्च अप्रैल-नवंबर के दौरान -18 फीसदी रहा, जो पिछले साल की बचत को दर्शाता है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के साथ ही सहकारिता मंत्रालय नवंबर तक बजट आवंटन का केवल 11 फीसदी ही खर्च कर पाया है। नागर विमानन मंत्रालय ने बजट अनुमान का एक-तिहाई से भी कम खर्च किया है। सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम मंत्रालय 22,138 करोड़ रुपये के आवंटन में से केवल 18 फीसदी ही खर्च कर पाया।
First Published – January 4, 2024 | 11:16 PM IST