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कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ देकर भी बीजेपी के अपराध कम नहीं होंगे! BJP’s crimes will not be reduced even by giving ‘Bharat Ratna’ to Karpoori Thakur! helobaba.com

‘कर्पूरी ठाकुर का राजनीतिक दर्शन’ पुस्तक में डाॅ विष्णुदेव रजक ने कर्पूरी ठाकुर के मुजफ्फरपुर में एक गोष्ठी में 1987 में दिए भाषण का जिक्र करते हुए लिखा है- ‘‘कर्पूरी जी ने कहा था कि दक्षिण भारत के रामास्वामी नायकर, पेरियार और डाॅ अंबेडकर को छोड़कर क्या हिंदुस्तान की किसी राष्ट्रीय पार्टी ने, किसी राष्ट्रीय पार्टी के नेता ने क्या यह कहा कि हिंदुस्तान में जो अद्विज हैं, जो सामाजिक दृष्टि से शोषित हैं, पीड़ित हैं, दलित हैं- उनका राजनीतिक शोषण नहीं है? आर्थिक शोषण ही शोषण नहीं बल्कि सामाजिक शोषण भी शोषण है. तो जो सामाजिक दृष्टि से शोषित हैं, उनको अवसर मिलना चाहिए.’’

कर्पूरी समान अवसर की बात करते हैं और बीजेपी उनको समरसता से जोड़कर दिखा रही है.

कर्पूरी ठाकुर ने संभवतः देश में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए पिछड़ी जाति, महिला एवं गरीब अगड़ी जातियों के लिए 26 फीसदी आरक्षण विभिन्न सेवाओं में दिया. इस ऐतिहासिक फैसले के बाद प्रदेशभर में सवर्ण सामंती जातियों और जनसंघ के लोगों ने दंगे-फसाद किए.

कर्पूरी ठाकुर को इन लोगों ने – ‘आरक्षण कहां से आई, करपूरिया के माई बिआई’, ‘करपूरी कर पूरा, न त पकड़ छूरा’ जैसी भद्दी-भद्दी गालियां दीं. याद कीजिए, जब वीपी सिंह की सरकार ने मंडल कमीशन की सिफारिशों को 1990 में लागू करके पिछड़ों को सरकारी सेवाओं में 27 फीसदी आरक्षण दिया, तो कैसे देशभर में बीजेपी ने हंगामा बरपाया था. यही बीजेपी समर्थन वापस लेकर वीपी सिंह की सरकार गिरा दी थी.

मंडल के खिलाफ कमंडल लेकर लालकृष्ण आडवाणी सोमनाथ से रथयात्रा लेकर निकल पड़े थे. और आज यही मोदी सरकार एक तरफ सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी कोटा देकर और सशक्त करती है, तो दूसरी तरफ ‘नाॅट फाउंड सूटेबल’, ‘लैटेरल इंट्री’, ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ और सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में देकर पिछड़ों के आरक्षण को खत्म करते जा रही है.

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