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दिल्ली सरकार के अस्पतालों में मिल रही थीं ‘घटिया दवाएं’, CBI करेगी जांच – cbi will investigate whether substandard medicines were available in delhi government hospitals helobaba.com

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ‘घटिया’ दवाओं की आपूर्ति के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आदेश दिया है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई यह भी जांच करेगी कि क्या मोहल्ला क्लीनिक के माध्यम से इन दवाओं का वितरण किया गया है नहीं। पिछले वर्ष दिसंबर में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के.सक्सेना ने गृह मंत्रालय से मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। सक्सेना ने कहा कि ये दवाएं कथित तौर पर गुणवत्ता मानक परीक्षण में विफल रहीं और दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों में लोगों की जान के लिए संभावित खतरा बन सकती थीं।

दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने जांच का अनुरोध करते हुए गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था।

पत्र के मुताबिक, ”इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि क्या जो दवाएं केंद्रीय खरीद एजेंसी (सीपीए) ने खरीदी हैं, वही दवाएं ‘मोहल्ला क्लीनिक’ के जरिए मरीजों को बांटी भी जा रही हैं या नहीं।” पत्र में कहा गया कि ‘घटिया’ दवाओं की आपूर्ति के लिए कोई भी कार्रवाई सीपीए तक सीमित नहीं होनी चाहिए और इन दवाओं की आपूर्ति करने वाली सभी कड़ियों की जांच की आवश्यकता है।

पत्र में कहा गया है कि साथ ही उन आपूर्तिकर्ताओं की भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए, जिन्होंने दवा बनाने वाली कंपनियों से दवाएं खरीदीं और अंतिम उपयोगकर्ता यानी अस्पताल (मरीज) को प्रदान की। सतर्कता निदेशालय ने पत्र में कहा, ”इसके अलावा ‘घटिया’ दवाओं की आपूर्ति के मामले की गंभीरता और उद्देश्यों को समझने के लिए कॉर्पोरेट संबंधों से पर्दा उठाने की जरूरत है।”

अधिकारियों के अनुसार, जो दवाएं ‘घटिया गुणवत्ता’ की पाई गईं, उनमें फेफड़े और मूत्र मार्ग के संक्रमण (यूटीआई) के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली महत्वपूर्ण जीवन रक्षक एंटीबायोटिक जैसे सेफैलेक्सिन शामिल हैं।

अधिकारियों ने बताया कि इस सूची में डेक्सामेथासोन (स्टेरॉयड) भी शामिल है, जिसका उपयोग फेफड़ों व जोड़ों में गंभीर सूजन और शरीर में सूजन को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा मिर्गी रोधी लेवेतिरसेटम और उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की दवा एमलोडेपिन भी शामिल है।

उपराज्यपाल के समक्ष दाखिल सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, 43 दवाओं के नमूने सरकारी प्रयोगशाला भेजे गए थे, जिनमें से तीन मानकों पर खरी नहीं उतरीं और 12 की रिपोर्ट लंबित है।

इनके अलावा 43 अन्य नमूनों को निजी प्रयोगशाला भेजा गया था, जिसमें से पांच मानकों पर खरा नहीं उतरे। एमलोडेपिन, लेवेतिरसेटम और पैंटोप्राजोल जैसी दवाएं सरकारी व निजी दोनों प्रयोगशालाओं में मानकों पर खरी नहीं उतरीं। वहीं सेफैलेक्सिन और डेक्सामेथासोन निजी प्रयोगशालाओं में हुए परीक्षणों में घटिया साबित हुईं।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस मामले को लेकर शहर के स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

First Published – January 5, 2024 | 3:04 PM IST
(बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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