नई सरकार के सिर पर होगा अमेरिका और वहां की फौज का हाथ Pakistan Chunav Army Rule America Influence in Pakistan Politics new government helobaba.com
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आखिरकार ‘नाकाम देश’ नाकाम नहीं होगा
कयामत की भविष्यवाणी करने वाले कई भविष्य वक्ताओं ने एक ‘नाकाम देश’ के पतन की दिशा में लुढ़कते जाने की आशंका जताई है, और ईमानदारी से कहें तो ऐसा होने की तार्किक वजहें भी हैं.
मगर इसे नाकाम नहीं होने दिया जा सकता- वो भी तब जब इसके पास अंदाजन 90 परमाणु हथियार हों.
दुनिया के देशों के लिए नतीजे और दांव बहुत ऊंचे हैं (भारत सहित, जिसे बिना जरूरत छाती ठोकने के बावजूद, अपनी नियंत्रण रेखा के उस पार कभी भी ‘नाकाम देश’ की ख्वाहिश नहीं करनी चाहिए), और बहुत कम दिखने वाला (लेकिन कल्पनाओं में हमेशा मौजूद) संयुक्त राष्ट्र, इसे नाकाम नहीं होने देंगे. यह नाकाम होने का जोखिम नहीं उठा सकता.
यथार्थवादी होकर अमेरिका एक ‘सलेक्टेड’ सरकार के बने रहने की बेतुकी पसंद को भी मान्यता देगा, चाहे उसका आकार, रूप या नाम जो भी हो.
खेल में मौलवी भी भूमिका निभाएंगे
अतीत की भूलों का खामियाजा तो उठाना ही पड़ेगा. लेकिन कैसे?
2023 में 789 आतंकवादी हमलों और हिंसा से जुड़ी 1,524 मौतों के साथ आतंकवाद में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है. ‘सत्ता प्रतिष्ठान’ को सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ा है और वे व्यवहार में वे ऐसी सरकार को इजाजत नहीं देंगे जो सक्रिय रूप से आतंकवाद या धार्मिकता की हिमायत करती है.
हालांकि, चूंकि देश का पूरा ढांचा और तर्क ‘पाक जमीन’ पर आधारित है और यह ‘ईमान, तकवा, जिहाद फी-सबीलिल्लाह’ (अल्लाह के सिवा किसी की बंदगी नहीं, अल्लाह का खौफ, अल्लाह के लिए जिहाद) के आदर्श वाक्य के साथ चलना इसकी ‘सत्ता’ को वैधता देता है. इसलिए पाकीजगी का दिखावा जारी रखना होगा, भले ही यह सिर्फ लफ्जों में है, सोच या अमल में नहीं.
अगली सरकार को मजहब-परस्त (या सांप्रदायिकता) से जुड़ी असहिष्णुता से निपटना होगा और इसलिए, वह ऐसी नहीं हो सकती, जो इसे बढ़ावा दे.
पाकिस्तान लगातार अपने दोहरे चरित्र के साथ चलता रहेगा, लेकिन समय की मांग और इतिहास बताता है कि आने वाली ‘सलेक्टेड’ सरकार निश्चित रूप से ज्यादा उदारवादी और सुधारवादी होगी, इसलिए नहीं कि वह ऐसा चाहती है, बल्कि इसलिए क्योंकि उसके पास कोई विकल्प नहीं है, उसे ऐसा करना ही होगा.