हॉरिजोंटल रिजर्वेशन क्या है और ट्रांसजेंडर इसकी मांग क्यों कर रहे हैं? What is horizontal reservation and why are transgenders demanding it? helobaba.com
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वर्टिकल आरक्षण के साथ क्या समस्याएं हैं?
बानू ने समझाया कि, “2014 के एनएएलएसए फैसले के बाद जिसमें ट्रांस लोगों को आरक्षण देने पर विचार करने की बात है – इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने 2017 में ट्रांस समुदाय को ‘सबसे पिछड़ा वर्ग’ या एमबीसी श्रेणी में शामिल किया. यह ओबीसी श्रेणी के समान है.”
हालांकि, उन्होंने कहा कि एमबीसी को एक अलग वर्टिकल श्रेणी के रूप में माना जाता है, और यदि एक दलित ट्रांस व्यक्ति को एमबीसी श्रेणी (ट्रांसजेंडर कोटा में) से आरक्षण मिलता है, तो उन्हें कोई एससी आरक्षण नहीं मिलेगा.
यानी ट्रांस समुदाय को ‘सबसे पिछड़ा वर्ग’ में शामिल किया गया और उसे एससी, एसटी, ओबीसी, EWS, सामान्य वर्ग के बराबर किया गया. इसका मतलब अगर कोई ट्रांस दलित हो तो उसे दलित ना मानकर केवल ट्रांस माना जाएगा और आरक्षण दिया जाएगा, जबकि ट्रांस लोगों की मांग है कि जाति के साथ साथ ट्रांस होने पर भी आरक्षण दिया जाए – जिसे हॉरिजोंटल आरक्षण कहते हैं.
आरक्षण के इस तरीके के साथ एक अतिरिक्त समस्या यह है कि ट्रांस लोगों को आरक्षण के लिए अन्य ओबीसी के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी, जिससे सीट पाने की संभावना कम हो जाएगी.
2021 में, केंद्र ने ट्रांसजेंडर लोगों को ओबीसी की सूची में शामिल करने के लिए एक कैबिनेट नोट भी पेश किया था.
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