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Bharat Jodo Nyay Yatra Rahul Gandhi: ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पहली यात्रा से अलग है: कितने फैक्टर कांग्रेस के साथ-कितने खिलाफ? Nyaya Yatra different from Bharat Jodo Yatra: profit & loss Congress? helobaba.com

भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पक्ष में कौन से फैक्टर काम नहीं कर रहे हैं?

1. यात्रा का काफी ज्यादा मुल्यांकन होगा

पहली भारत जोड़ो यात्रा चुनाव के समय थी. तब गुजरात और हिमाचल में चुनाव था लेकिन दोनों जगहों से यात्रा नहीं निकली थी. इसलिए उस यात्रा को आंकने के लिए चुनावी नतीजे देखने का कोई मतलब नहीं है.

लेकिन ये न्याय यात्रा लोकसभा चुनाव के कुछ ही महीने पहले शुरू हुई है. इसलिए इस यात्रा की सफलता को चुनावी नतीजों पर आंका जाएगा.

पहली यात्रा के दौरान कांग्रेस का यह तर्क था कि “इसका लक्ष्य चुनाव नहीं है”. लेकिन न्याय यात्रा के समय वह तर्क काम नहीं करेगा. वैसे देखें तो, पहली यात्रा के विपरीत, कांग्रेस नेता सक्रिय रूप से न्याय यात्रा को चुनावी परिणामों से अलग करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.

ऐसे में अगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें नहीं बढ़ी तो सवाल उठेंगे कि क्या यात्रा निकालने का विचार सही था?

2. यात्रा का संदेश साफ नजर नहीं आता

चुनाव के नजरिए से इस यात्रा का संदेश थोड़ा अस्पष्ट दिखाई पड़ता है. ‘न्याय’ और ‘एकता’ जैसे टर्म में ज्यादा दम नहीं दिख रहा और इसके इर्द-गिर्द वोट जुटाना आसान नहीं लगता.

हालांकि कांग्रेस का दावा है कि ये मुद्दे यात्रा के दौरान भी उठाए जाएंगे, लेकिन ये यात्रा के नाम या इसके संदेश का हिस्सा नहीं हैं. इसलिए यात्रा के दौरान केवल चर्चा करना ही पर्याप्त नहीं होगा.

3. INDIA गठबंधन का क्या?

ये यात्रा ‘इंडिया’ गठबंधन के कॉर्डिनेशन के बिना शुरू की गई है, इससे वोटर्स को संदेश पहुंचाने में उलझन हो सकती है. ऐसा प्रतीत होता है कि यह इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को ध्यान में रखे बिना, राहुल गांधी को विपक्ष के चेहरे के रूप में पेश करने का कांग्रेस का तरीका है.

फिर उत्तर प्रदेश का एक अलग मुद्दा है. यदि कोई ध्यान से इस यात्रा के रूट को देखे तो पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में इसका रूट बहुत लंबा नहीं है जहां इंडिया गठबंधन के दलों की सरकार है.

हालांकि, उत्तर प्रदेश में यात्रा का रूट बढ़ाकर कांग्रेस ने एक बड़ा कदम उठाया है. यह पश्चिम की ओर बढ़ने के बजाय उत्तर की ओर कई सौ किलोमीटर तक जाएगी.

इसे अखिलेश यादव के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत के दौरान कड़ी सौदेबाजी करने की कांग्रेस की चाल के रूप में देखा जा रहा है.

4. संसाधनों का इस्तेमाल

भारत जोड़ो न्याय यात्री जैसी बड़ी यात्रा में भारी संसाधन शामिल होते हैं. वैसे भी बीजेपी की तुलना में कांग्रेस के पास संसाधनों की काफी कमी है. इसलिए, कांग्रेस में ऐसा वर्ग भी है जो तर्क दे रहा है कि पार्टी को आम चुनाव से पहले संसाधनों को अधिक रणनीतिक रूप से उपयोग करने की जरूरत है क्योंकि न्याय यात्रा जैसी बड़ी यात्रा पार्टी के खजाने पर बोझ डालेगी.

इस यात्रा की जिम्मेदारी उस राज्य की कांग्रेस ईकाई पर होगी जिस राज्य में ये यात्रा पहुंचेगी. इसका मतलब यह भी होगा कि कांग्रेस इकाइयों को यात्रा से लेकर चुनाव तक लगातार काम करना होगा.

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