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ICU में भर्ती को लेकर केंद्र की नई गाइडलाइन, डॉक्टर से जानिए इसके बार में सबकुछ helobaba.com

जैसा कि कहा गया है, गाइडलाइन्स नए नहीं हैं.

डॉ. रे का कहना है कि इण्डियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर में गाइडलाइन्स का एक समान (similar) ढांचा है, जिसका वे वर्षों से पालन कर रहे हैं.

ये गाइडलाइन्स रूल्स (rules) नहीं हैं. डॉ. रे कहते हैं, “यह एक गलत धारणा है कि गाइडलाइन्स का हर हाल में पालन करना जरुरी है.”

वह आगे कहते हैं, “गाइडलाइन्स केवल मार्गदर्शन के लिए हैं, लेकिन मरीज को देखने के लिए मौजूद डॉक्टर के क्लिनिकल जजमेंट को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए और यह सभी गाइडलाइन्स के लिए है”.

यहीं पर डॉक्टर का अनुभव और क्लिनिकल नॉलेज आता है. “कभी-कभी, हम देख सकते हैं कि एक मरीज प्रवेश के लिए हर मानदंड में फिट नहीं हो सकता है लेकिन हमारा क्लिनिकल जजमेंट हमें बताता है कि रोगी को इसकी आवश्यकता हो सकती है”.

डॉ. सुमित रे के अनुसार, जो चीज संभावित रूप से प्रॉब्लम वाली हो सकती है वह ये कि एक इंटेंसिविस्ट (intensivist) के रूप में कौन योग्य है.

“अंतिम पॉइंट कहता है कि अगर आपके पास कोई स्पेशलाइज्ड इंटेंसिविस्ट नहीं है, तो एमबीबीएस और आईसीयू में तीन साल का अनुभव वाला व्यक्ति भी योग्य होगा”.

डॉ. रे के मुताबिक, “हां, अगर कोई और उपलब्ध न हो तो वे आईसीयू में मरीजों की देखभाल कर सकते हैं, लेकिन एक इंटेंसिविस्ट को इस तरह डिफाइन (define) नहीं किया जा सकता है”.

हालांकि, डॉ. मेहता के अनुसार:

कुछ भी हो, वह कहते हैं, “यह सिफारिश मेट्रोपोलिटन शहरों में टेरिटियर केयर (tertiary care) अस्पतालों के लिए आदर्श नहीं हो सकती है, लेकिन यह छोटे, टियर-2 और टियर-3 अस्पतालों में हो जाती है, जहां योग्य कर्मचारियों की कमी के कारण, पूरी तरह से अप्रशिक्षित और अयोग्य लोग को चार्ज दे दिया जाता है”.

उनका कहना है कि इस पॉइंट की वजह से आईसीयू का प्रभारी किसे बनाया जा सकता है, इसके लिए न्यूनतम सीमा (minimum bar) बनाने में मदद करेगी.

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