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Milind Deora Resign: मिलिंद के कांग्रेस छोड़ने का क्या होगा असर, कैसा था देवरा-गांधी परिवार का संबंध helobaba.com

मुरली देवरा एक महान सार्वजनिक वक्ता नहीं थे, लेकिन उन्होंने सियासत में रणनीतिक सूझबूझ से अपनी जगह बनाई और पार्टी लाइनों से परे दोस्ती की, जिसके बाद उन्हें एक ‘किंगमेकर’ कहा जाने लगा और उन्होंने

अब जब मिलिंद ने कांग्रेस के साथ अपनी यात्रा समाप्त की, यहां जानना महत्वपूर्ण हो गया कि उनका गांधी परिवार के साथ रिश्ता कितना मजबूत था और उनके जाने से पार्टी को क्या नुकसान होगा?

मुरली देवरा का प्रभाव राजनीतिक हलकों से परे व्यापार जगत के शीर्ष लीडर तक फैला था. धीरूभाई अंबानी जैसी प्रमुख हस्तियों के साथ उनका रिश्ता और गांधी परिवार के प्रति अटूट निष्ठा उनके राजनीतिक व्यक्तित्व के निर्णायक पहलू बन गए. रिश्तों का यह जटिल जाल उनके अंतिम संस्कार में सामने आया, जिसमें राजनीतिक और कॉर्पोरेट क्षेत्रों के कई दिग्गज शामिल हुए.

22 साल के प्रभावशाली कार्यकाल के लिए मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहने के अलावा, मुरली देवड़ा चार बार लोकसभा सांसद और तीन बार राज्यसभा सांसद भी थे. वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में वाली केंद्र सरकार में पूरे पांच साल तक पेट्रोलियम मंत्री थे.

1968 में 25 पैसे का भुगतान कर कांग्रेस से जुड़े मुरली पूरे जीवन पार्टी के साथ गांधी परिवार के हमेशा वफादार रहे. उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा मुंबई में मेयर के रूप में शुरू की थी और बाद के दिनों में मुंबई दक्षिण को कांग्रेस का गढ़ बना दिया.

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