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Myopia Is Increasing In Children, These Are The Symptoms And Ways To Prevent It. helobaba.com

Myopia Symptoms In Children: आज के जमाने में, जहां डिजिटल गैजेट्स हमारी लाइफस्टाइल का अभिन्न अंग बन चुके हैं, वहीं बच्चों में दूर की नजर कमजोर यानी मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) एक बढ़ती हुई समस्या हो गई है.

मायोपिया (myopia) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आपको पास की चीजें तो साफ दिखती हैं लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं. मायोपिया धीरे-धीरे या तेजी से बढ़ सकता है और बच्चे की उम्र बढ़ने पर स्थिति और खराब हो सकती है. यह स्थिति न केवल बच्चों की दृष्टि को प्रभावित करती है बल्कि उनकी पढ़ाई-लिखाई और डेली रूटीन पर भी असर डालती है.

बच्चों में मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) के कारण

“मायोपिया के मुख्य कारणों में जेनेटिक, आंखों पर अधिक जोर और कम रोशनी में पढ़ाई करना शामिल है”.

डॉ. अनुराग वाही, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स

मायोपिया होने के कारणों में ये बातें भी शामिल हैं.

मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) तब होता है, जब आपके बच्चे की आई बॉल आगे से पीछे तक बहुत लंबी होती है. यह तब भी हो सकता है जब कॉर्निया, आंख के सामने की क्लियर खिड़की, बहुत अधिक घुमावदार हो. जब रोशनी आपके बच्चे की आंख में जाती है, तो किरणें आंख के पीछे स्थित लाइट सेंसिटिव टिश्यू, रेटिना से कुछ ही दूर गिरती हैं. इससे दूर की चीजें धुंधली और नजदीक की चीजें साफ दिखाई देती हैं.

मायोपिया के लक्षणों की पहचान और जांच के उपाय

दूसरी किसी भी बीमारी की तरह, मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) के भी कुछ खास लक्षण होते हैं, जिनकी मदद से आप या आपके डॉक्टर इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपको मायोपिया है या नहीं. मायोपिया के लक्षणों में शामिल हैं:

  • बार-बार और जल्दी-जल्दी पलकें झपकना.

  • दूर की चीजें ठीक से न देख पाना और आंखों में तनाव के साथ थकान महसूस होना.

  • ड्राइविंग करते समय खासकर रात में, परेशानी महसूस होना.

  • सही तरह से न देख पाने की वजह से सिर में दर्द होना.

  • आंखों पर जोर देकर या पलकों को सिकोड़कर देखना.

  • आंखों से ज्यादा पानी आना.

  • दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देना.

मायोपिया का इलाज

  1. चश्मे और कॉन्टैक्ट लेंस: आजकल बच्चों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए चश्मे और कॉन्टैक्ट लेंस उपलब्ध हैं, जो उनकी दृष्टि को सही करते हैं. ये आगे चल कर और कमजोर होने वाली ‘दूर की नजर’ को बढ़ने से रोकते हैं. ये मायोपिया (myopia correction) में सुधार का काम करते हैं.

  2. लेजर सर्जरी: उम्र के हिसाब से लेजर सर्जरी भी एक विकल्प हो सकता है. हालांकि इसके लिए बच्चे की उम्र और आंखों की स्थिति का मूल्यांकन करना जरूरी है.

  3. आंखों की नियमित जांच: बच्चों की आंखों की नियमित जांच और समय-समय पर चश्मे का टेस्ट करवाना जरूरी है.

  4. आहार में परिवर्तन: बच्चों के आहार में विटामिन ए, सी और ई की पर्याप्त मात्रा शामिल करना चाहिए, जो आंखों की सेहत के लिए अच्छी होती हैं. इसमें हरी सब्जियां, फल, अंडे और डेयरी उत्पाद शामिल हैं.

  5. खेलकूद और बाहरी गतिविधियां: बच्चों को अधिक समय बाहर खेलने और नेचुरल लाइट में समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. यह उनकी आंखों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और निकट दृष्टि दोष की प्रगति को धीमा कर सकता है.

  6. आंखों की एक्सरसाइज: बच्चों को आंखों के एक्सरसाइज के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. इसमें आंखों को गोल-गोल घुमाना, पलकें झपकाना और दूर-पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है.

मायोपिया की रोकथाम

मायोपिया (myopia prevention) की रोकथाम के लिए एक्सपर्ट ने बताए ये उपाय:

  • बच्चों को सही रोशनी में पढ़ना-लिखना सिखाएं.

  • बच्चों के स्क्रीन टाइम को कंट्रोल में रखें.

  • स्क्रीन से रेगुलर ब्रेक लेने की आदत डलवायें.

  • खानपान में आंखों को फायदा पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थ खिलाएं.

  • पर्याप्त नींद लेने की सलाह दें.

मायोपिया से लड़ने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव की जरूरत

  • स्क्रीन टाइम: बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करना और उन्हें बाहरी खेलों और शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

  • सही रोशनी: पढ़ाई और दूसरी गतिविधियां सही रोशनी में करनी चाहिए.

  • संतुलित आहार: आंखों की सेहत के लिए विटामिन ए, सी, ई और जिंक युक्त आहार लेना जरूरी है. हरी सब्जियां, फल, नट्स, डेयरी उत्पादों का सेवन करें.

“बच्चों में मायोपिया एक चुनौती हो सकती है, लेकिन सही इलाज और लाइफस्टाइल के परिवर्तनों से इसे प्रभावी ढंग से मैनेज किया जा सकता है. माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों की आंखों की देखभाल में सजग रहें और उन्हें हेल्दी विजन के लिए जरुरी रिर्सोसेस और मदद दें.”

डॉ. अनुराग वाही, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स

हेल्दी आंखें न केवल बेहतर नजर के लिये जरुरी है बल्कि वे बच्चे के डेवलपमेंट और उनके भविष्य की सफलता में भी योगदान देते हैं.

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