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Satna News :डिप्टी सीएम ने किया प्रदेश स्तरीय तृतीय कृषि विज्ञान मेला का समापन 1 helobaba.com

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सतना,मध्यप्रदेश।। उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि लंबे इंतजार के बाद अगस्त 2024 तक नर्मदा मईया का जल बरगी नहर के माध्यम से सतना जिले के किसानों के खेतों में आने वाला है। किसानों के खेतों में सिंचाई के लिये आने वाला यह पानी सतना जिले की तस्वीर और तकदीर बदलेगा। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल गुरुवार को सतना के एकेएस विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित प्रदेश स्तरीय तृतीय कृषि विज्ञान मेले के समापन अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद गणेश सिंह ने की।

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सतना टाइम्स डॉट इन

इस मौके पर विधायक चित्रकूट सुरेंद्र सिंह गहरवार, जनपद अध्यक्ष अमरपाटन माया विनीत पांडेय, विश्वद्यिलय के डायरेक्ट अनंत सोनी, प्रो. वीसी हर्षवर्धन श्रीवास्तव, उप संचालक कृषि मनोज कश्यप, पूर्व महापौर ममता पांडेय, समाजसेवी पुष्पेंद्र प्रताप सिंह सहित कृषि वैज्ञानिक एवं जिले के किसान उपस्थित थे।प्राकृतिक, जैविक और सटीक खेती के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से जागरुकता लाने आयोजित तीन दिवसीय कृषि विज्ञान मेले में उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि खेती हमारे देश के विकास की रीढ़ है। किसान समृद्ध होगा, तभी देश समृद्ध बनेगा।


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उन्होने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिये निरंतर किसानों के कल्याण और विकास की योजनायें एवं उन्नत तकनीकें क्रियान्वित कर रही है। उन्होने कहा कि किसानों की जेब में जब पैसा आता है तो व्यापार को मजबूती मिलती है। जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। उन्होने कहा कि खेती-किसानी के लिये सिंचाई की सुविधा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। सतना जिले के किसानों के खेतों में बाणसागर के बाद अब बरगी नहर का पानी भी आने से जिले की तस्वीर और तकदीर बदल जायेगी। उन्होने कहा कि सरकार ने बरगी नहर का पानी सतना लाने के लिये 800 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की है। अभी 200 से 300 करोड़ रुपये और खर्च किये जायेंगे। सरकार के पास पैसे की कमी नही हैं। सरकार की चिंता है कि किसानों के खेतों में पानी पहुंचना चाहिये।

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फ़ोटो सतना टाइम्स डॉट इन

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये सांसद गणेश सिंह ने कहा कि कृषि प्रधान देश में खेती-किसानी का अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। वर्तमान में कृषि के क्षेत्र में अनेक चुनौतियां हैं। जोत का रकबा घट रहा है, लागत बढ़ रही है, रसायनों का उपयोग बढ़ा है और पारंपरिक खेती पर विराम सा लग गया है। सांसद ने कहा कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने किसानों को जागरुक किया जाना अनिवार्य है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मोटे अनाजों के प्रति पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है और इसे श्रीअन्न का नाम दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसंधान से पता चला है कि मानव शरीर में सभी आवश्यक पोषक तत्व श्रीअन्न में पाये जाते है और इनके उपयोग से कोई बीमारी नहीं होती है। मोटे अनाजो को प्रोत्साहन देने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी और देश का किसान मजबूत होगा। सांसद श्री सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय को जिले का एक गांव गोद लेकर वहां किसानों को जैविक खेती को प्रोत्साहित कर उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिये और ऐसे प्रयास करने चाहिये कि हमारी जरुरतों का सभी सामान स्थानीय रुप से मिले। यहां का किसान आत्मनिर्भर बने।


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विधायक चित्रकूट सुरेंद्र सिंह गहरवार ने कहा कि खेती परिस्थिति जन्य व्यवसाय है। मांग से ज्यादा उत्पादन होने पर अनाज सस्ता, तो मांग से कम उत्पादन होने पर वहीं अनाज महंगा हो जाता है। उन्होने कहा कि खेती की लागत के अनुसार उत्पादन की कीमत का निर्धारण का अधिकार किसान को जब मिलेगा, तभी खेती लाभ का धंधा बनेगी। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल और सांसद गणेश सिंह ने आत्मा परियोजना के अंतर्गत चयनित उत्कृष्ट किसानों को पुरुस्कारों का वितरण किया।

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