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Tips For Taking Care Of Thyroid To Keep The Reproductive System Healthy helobaba.com

थायरॉइड की भूमिका है महत्वपूर्ण

थायरॉइड गले के अंदर तितली के आकार का एक छोटा-सा ग्लैंड होता है, जो कि मेटाबॉलिज्म़ को कंट्रोल करने वाले हॉर्मोन को बनाता है और शरीर के लगभग हर ऑर्गन के फंक्शन को प्रभावित करता है.

थायरॉइड से दो महत्वपूर्ण हॉर्मोन्स थायरॉक्सिन (टी4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) का स्राव (discharge) ब्लड में होता है. ये दोनों हॉर्मोन्स शरीर की ऊर्जा के स्तर, तापमान और सबसे महत्वपूर्ण बात रिप्रोडक्टिव सिस्टम के फंक्शंस को कंट्रोल करने का काम करते हैं.

महिलाओं में सामान्य थायरॉइड स्तर क्या होनी चाहिए?

थायरॉइड हार्मोन के लेवल, खास कर थायरॉइड-उत्तेजक हार्मोन (TSH), थायरॉइड हार्मोन T3 (ट्राईआयोडोथायरोनिन) और T4 (थायरोक्सिन) को मापकर थायरॉइड फंक्शन का मूल्यांकन किया जाता है. TSH स्तरों के लिए संदर्भ सीमा (reference range) आमतौर पर 0.4 और 4.0 मिली-अंतर्राष्ट्रीय इकाइयों प्रति लीटर (mIU/L) के बीच होती है.

हालांकि, यह ध्यान रखना जरुरी है कि प्रयोगशाला और व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर सामान्य श्रेणियां थोड़ी अलग हो सकती हैं. किसको भी अगर थायरॉयड डिसऑर्डर का संदेह है, तो ऐसे में हेल्थकेयर प्रोफेशनल की सलाह लेना सबसे अच्छा है, जो आपकी स्थिति के अनुसार परिणामों को समझ सकते हैं.

थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं और रिप्रोडक्शन

थायरॉइड फंक्शन का असंतुलन जैसे हाइपोथायरॉइडिज्म़ (कम सक्रिय थायरॉइड) या हाइपरथायरॉइडिज्म़ (अधिक सक्रिय थायरॉइड), सफल प्रजनन (reproduction) के लिए जरुरी काम्प्लेक्स हार्मोन एक्शन में रुकावट डाल सकता है. ये हैं थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं जो रिप्रोडक्शन सिस्टम में समस्या पैदा कर स्की हैं:

हाइपोथायरॉइडिज्म और रिप्रोडक्शन: थायरॉइड हॉर्मोन के शरीर में कम बनने को हाइपोथायरॉइडिज्म़ कहा जाता है. यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में रिप्रोडक्टिव सिस्टम को प्रभावित कर सकती है. महिलाओं में हाइपोथायरॉडिज्म की वजह से अनियमित मासिक चक्र, ओव्युलेशन का न होना और ओव्युलेटरी क्षमता कम हो सकती है.

हाइपरथायरॉइडिज्म और रिप्रोडक्शन: वहीं, थायरॉइड हॉर्मोन की अधिकता हाइपरथायरॉइडिज्म कहलाता है, जिससे प्रजनन में समस्याएं पैदा हो सकती हैं. जिन महिलाओं को हाइपरथायरॉइडिज्म है, उन्हें अनियमित पीरियड्स की समस्या हो सकती है और गंभीर मामलों में एमेनोरिया (माहवारी का न होना) की समस्या हो सकती है. हाइपो और हाइपरथायरॉइडिज्म, दोनों में ही रिप्रोडक्टिव हॉर्मोन्स का बैलेंस ब्लॉक्ड हो सकता है. इससे गर्भधारण करने की संभावना प्रभावित हो सकती है. 

अस्सिटेड रिप्रोडक्टिव टेक्‍नोलॉजीज (एआरटी): अस्सिटेड रिप्रोडक्टिव टेक्‍नोलॉजीज (ART) जैसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) से गुजर रहे लोगों के लिए थायरॉइड हेल्थ बेहद जरूरी होता है. स्टडीज में यह बात सामने आई है कि जिन महिलाओं को सबक्लीनिकल हाइपोथायरॉडिज्म की समस्या है, भले ही वह सामान्य रेंज में ही क्यों न हो, उससे आईवीएफ की सफलता दर कम हो सकती है. रिप्रोडक्टिव सिस्टम का इलाज शुरू करने से पहले थायरॉइड फंक्शन की जांच करना और पर्याप्त कार्यप्रणाली (adequate functioning) का ध्यान रखना, रिजल्ट्स को बेहतर बना सकता है.

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