Yogi Adityanath ram mandir Pran pratishtha : योगी आदित्यनाथ के लिए यह एक बड़ा लम्हा क्यों है? helobaba.com
वैसे भी, किसी भी अन्य बीजेपी सीएम की तुलना में योगी आदित्यनाथ का नेशनल प्रजेंस ज्यादा है. इसकी वजह उनकी कट्टर हिंदुत्ववादी छवि है. साथ ही तथ्य यह है कि वह भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य पर शासन करते हैं.
वह किसी भी चुनाव में बीजेपी के प्रमुख प्रचारकों में से एक बनकर उभरे हैं.
यह काफी हद तक इस पर निर्भर करेगा कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर बीजेपी कैसा प्रदर्शन करती है.
पार्टी के पक्ष में दो बातें जा रही हैं:
पहला, राम मंदिर के उद्घाटन का जोश. बीजेपी ने राज्य के हर जिले में राम मंदिर को लेकर माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. यह देखना बाकी है कि यह उत्साह इस साल अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव तक बना रहता है या नहीं.
दूसरा, एसपी-बीएसपी-आरएलडी का गठबंधन टूट गया है. पिछले आम चुनावों में गठबंधन को 39 फीसदी वोट और 80 में से 15 सीटें हासिल हुई थीं. बीएसपी प्रमुख मायावती ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. 2019 में इसे 19 फीसदी वोट मिले थे. SP और RLD ने हाल ही में अपनी सीट-बंटवारे पर मुहर लगाई है. 2019 में छह फीसदी वोट पाने वाली कांग्रेस गठबंधन में शामिल हो सकती है, लेकिन यह बीएसपी के बाहर जाने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं होगा.
इन दो वजहों से बीजेपी और उसकी सहयोगी- अपना दल 80 में से 64 सीटों के अपने 2019 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए अच्छी स्थिति में है और शायद इसमें सुधार भी कर सकते हैं.
हालांकि, चुनाव परिणाम हमेशा वैसा नहीं होता जैसी भविष्यवाणी की जाती है.
उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में 1993 का विधानसभा चुनाव दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद हुआ था. इसके बावजूद, बीजेपी की सीटों में 44 सीटों की कमी आई और 1991 चुनाव की तुलना में वोट शेयर में लगभग 1 फीसदी की गिरावट आई. भले ही सीट शेयर में गिरावट आंशिक रूप से एसपी और बीएसपी के एक साथ आने के कारण थी, लेकिन विध्वंस के बाद की राजनीतिक लामबंदी को देखते हुए वोट शेयर में स्थिरता आश्चर्यजनक थी.